अथ श्रीसिद्धिकाली स्तोत्रम् ||
श्री सिद्धिकालिकायै ||
अथ वक्ष्य महादेव्या स्तोत्रं सर्वज्ञ भाषितम |
पठनाद्भक्ति युक्तेन शक्रस्यैश्वर्यमाप्नुयात् |1|
ब्रह्मणा ब्रह्मशब्देन स्तुतात्वं परमेश्वरि |
इच्छाशक्तिं परां मायां सिद्धिकालीं नमाम्यहम् |2|
पालनाय जगद्देवि विष्णुनात्वं परापरम् |
संस्तुता ज्ञानशब्देन सिद्धिकालीं नमाम्यहम् |3|
अपरां कालरुद्रेन संहारार्थं स्तुता शिवे |
त्वां क्रियां रुद्रशब्देन सिद्धिकालीं नमाम्यहम् |4|
ईश्वरेन लयार्थत्वां स्तुतासि चित्कलेव्यये |
कलातीतां महामायां सिद्धिकालीं नमाम्यहम् |5|
सदाशिवेन सततं स्तुतात्वं परमेश्वरि |
अनुग्रहाय लोकानां सिद्धिकालीं नमाम्यहम् |6|
इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु भक्तियुक्तेन चेतसा
तस्मै दद्यात् सिद्धिकाली सर्वसिद्धिर्न संशय: |7|
य: श्लोकपञ्चकं देवी नित्यं मनसि धारयेत् |
सर्वज्ञत्वं लभेद्देवि सिद्धिकाली प्रशादत: |8|
यामासाद्य मया देवि प्राप्ता सिद्धिरनेकधा |
ब्रह्मापि सृष्टिकर्त्तात्वं विष्णु: स्यात् पालको भवेत् |9|
संहार कृत्कालरुद्र ईश्वरोलय कृत्सदा |
बहुनात्र किमुक्तेन सा देवी ध्यान मात्रत |10|
संजीवनेन मुक्ति: स्यात् सत्यं सत्यं मयोदितम् |11|
इति श्री त्रिदशडामरे श्री सिद्धिकाली स्तोत्रं संपूर्णं | |
श्री सिद्धिकालिकायै ||
अथ वक्ष्य महादेव्या स्तोत्रं सर्वज्ञ भाषितम |
पठनाद्भक्ति युक्तेन शक्रस्यैश्वर्यमाप्नुयात् |1|
ब्रह्मणा ब्रह्मशब्देन स्तुतात्वं परमेश्वरि |
इच्छाशक्तिं परां मायां सिद्धिकालीं नमाम्यहम् |2|
पालनाय जगद्देवि विष्णुनात्वं परापरम् |
संस्तुता ज्ञानशब्देन सिद्धिकालीं नमाम्यहम् |3|
अपरां कालरुद्रेन संहारार्थं स्तुता शिवे |
त्वां क्रियां रुद्रशब्देन सिद्धिकालीं नमाम्यहम् |4|
ईश्वरेन लयार्थत्वां स्तुतासि चित्कलेव्यये |
कलातीतां महामायां सिद्धिकालीं नमाम्यहम् |5|
सदाशिवेन सततं स्तुतात्वं परमेश्वरि |
अनुग्रहाय लोकानां सिद्धिकालीं नमाम्यहम् |6|
इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु भक्तियुक्तेन चेतसा
तस्मै दद्यात् सिद्धिकाली सर्वसिद्धिर्न संशय: |7|
य: श्लोकपञ्चकं देवी नित्यं मनसि धारयेत् |
सर्वज्ञत्वं लभेद्देवि सिद्धिकाली प्रशादत: |8|
यामासाद्य मया देवि प्राप्ता सिद्धिरनेकधा |
ब्रह्मापि सृष्टिकर्त्तात्वं विष्णु: स्यात् पालको भवेत् |9|
संहार कृत्कालरुद्र ईश्वरोलय कृत्सदा |
बहुनात्र किमुक्तेन सा देवी ध्यान मात्रत |10|
संजीवनेन मुक्ति: स्यात् सत्यं सत्यं मयोदितम् |11|
इति श्री त्रिदशडामरे श्री सिद्धिकाली स्तोत्रं संपूर्णं | |
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